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Saturday, July 28, 2018

NOIS Class 12th Political Science Notes in Hindi Medium

NOIS Class 12th Political Science Notes in Hindi Medium


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प्र०-1 धर्मनिरपेक्षता किसे कहते हैं ?
उ०- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है- धर्म के अाधार पर किसी प्रकार के भेदभाव का न होना।' भारत एक  धर्मनिरपेक्ष राज्य है। 
भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानने तथा उसका प्रचार करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। राज्य धर्म के आधार पर नागरिकों में किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं करना।

प्र०-2 मौलिक अधिकारों तथा राजनीतिक के निर्देशक सिध्दान्तों में क्या अन्तर है ?
उ०- मौलिक अधिकारों तथा राजनीतिक के निर्देशक
सिध्दन्तों का अन्तर निम्नलिखित बातो के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता हैं-
___________________________________________
मौलिक अधिकारो              राजनीति के निर्देशक     
                                       सिध्दान्तो
(1)मौलिक अधिकार न्याय  (1)जब कि निर्देशक 
योग्य है।                           सिध्दान्त न्याय योग्य नही 
                                      है।      
(2)मौलिक अधिकारो के     (2)जब कि निर्देशक सिध्दान्त
पीछे  कानून की सहायता     कानून की सहायता नही ले
ले सकते हैं।                       सकते हैं।
(3)मौलिक अधिकारो का    (3)परन्तु निर्देशक सिध्दान्तो
उद्देश्य राजनैतिक               का उद्देश्य सामाजिक व
 लोकतंत्र है।                      आर्थिक लोकतंत्र है।

प्र०-3 राष्ट्रपति किन परिस्थितियों में संकटकाल की घोषणा कर सकते हैं ?
उ०- राष्ट्रपति निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में संकटकाल की घोषणा कर सकते हैं-
(1)युध्द, बाहरी आक्रमण
(2)संवैधानिक संकट
(3)वित्तीय संकट         

प्र०-4 फ्रांस की क्रांति के मुख्य आधारभूत विचारों को लिखिए ?
उ०- फ्रांस की क्रांति 1789 में हुई जिसने वहां की राजतंत्रीय व्यवस्था को उखाड़ फेंका और इसके बाद ही संसार में लोकतंत्र की धारणा का प्रसार हुआ। इस क्रांति के मूलभूत तीन विचार थे-स्वतन्त्रता, समानता और भाईचारा।

प्र०-5 सत्याग्रह ' शब्द का अर्थ लिखिए ?
उ०- सत्याग्रह-अन्याय, असत्य, अत्याचार तथा बुराइयों के विरुद्ध लड़ने और सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए गॉधी जी ने सत्य और अहिंसा के आधार पर सत्याग्रह का रास्ता अपनाया और दिखाया।

प्र०-6 राज्य तथा समाज में अन्तर स्पष्ट कीजिए ?
उ०- राज्य तथा समाज में निम्न बातों के आधार पर भेद किया जा सकता है-
1. समाज राज्य से पहले बना- समाज उतना ही पुराना है जितना कि पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म है। मनुष्य अपने स्वभाव के कारण तथा अपनी जीवन रक्षा तथा भोजन आदि इकट्ठा करने के लिए शुरू से ही समाज में रहता चला आया है।
2. समाज का क्षेत्र राज्य के क्षेत्र से अधिक विस्तृत है-
समाज का क्षेत्र राज्य के क्षेत्र से बहुत अधिक विस्तृत है।
इसमें मनुष्य के जीवन के प्रत्येक पक्ष-सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा राजनीतिक आदि शामिल हैं।
3. राज्य के लिए सरकार का होना आवश्यक है, समाज के लिए नहीं।
4. राज्य के पास प्रभुसत्ता होती है, समाज के पास नहीं।
5. राज्य समाज का एक भाग है-समाज में अनेक प्रकार के समुदाय तथा संगठन शामिल होते हैं।

प्र०-7 राज्य क्या है इसके विभिन्न प्रमुख तत्वों का वर्णन कीजिए ?
उ०- राज्य का अर्थ- राज्य एक परिकल्पना है। न दिखाई  देने वाली राजनीतिक संस्था है तथा समाज में व्यक्तियों तथा उसके संघो से सर्वोच्च शक्तिशाली है। यह एक आवश्यक संस्था है।
राज्य के आवश्यक तत्व- इन परिभाषाओं के आधार पर राज्य के चार आवश्यक तत्व होते हैं-
1. जनसंख्या- जनसंख्या राज्य का आवश्यक तत्व है। जनसंख्या के बिना राज्य का कोई अस्तित्व नहीं है।
2. भू-भाग- राज्य का एक निश्चित भू-भाग होना आवश्यक है जिसका पता भू-भाग के अन्दर रहने वाले तथा भू-भाग के बाहर के लोगों को निश्चित रूप से होना चाहिए। भू-भाग भी बड़ा और छोटा हो सकता हैं।
3. सरकार- सरकार ही राज्य का वह तत्व है जो राज्य की इच्छा का निर्माण करता है और कानून के रूप में उसे व्यक्त करता है तथा कानूनों को लागू करके इस इच्छा की पूर्ति करता है।
4. प्रभुसत्ता- प्रभुसत्ता का अर्थ है- सर्वोच्च शक्ति। राज्य के पास सर्वोच्च शक्ति होती है जिसका प्रयोग वह अपने भू भाग के अन्दर सभी व्यक्तियों तथा व्यक्तियों के समूहों व संस्थाओं पर कर सकते हैं।

प्र०-8 मार्क्सवाद क्या है ? आज के परिप्रक्ष्य में मार्क्सवाद की प्रसंगिकता व्याख्या करें ?
उ०- मार्क्सवाद का अर्थ- मार्क्सवाद एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा है जो मुख्य रूप से कार्ल मार्क्स के विचारों पर आधारित है। जिसने बड़े वैज्ञानिक ढंग से पूंजीवाद की आलोचना तथा समाजवाद की स्थापना पर अपने विचारे प्रकट किए।

प्र०-9 गांधीवाद के किन्हीं चार सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए ?
उ०- गांधीवाद के चार प्रमुख सिद्धान्त- गांधी जी ने अनेक विषयों पर अपने विचार प्रकट किए हैं और उन्हीं को गांधीवाद के से पुकारा जाता है। इसमें से इसमें से चार प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित है-
1.अहिंसा- गांधी जी पक्के अहिंसावादी थे और वे राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान भी हिंसात्मक साधनों को न अपनाकर अहिंसा के साधन अपनाने पर जोर देते थे।
2. सत्य तथा सत्याग्रह- गांधी जी सत्य पर चलने वाले कर्मयोगी थे। उनका कहना था कि व्यक्ति को सत्य का पालन करना चाहिए और कष्टों को झेलकर भी सत्य पर डटे रहना चाहिए।
3. धर्म और राजनीति- गांधी जी से पहले यह कहा जाता था कि राजनीति का धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं और दोनों साथ-साथ नही चल सकते। परन्तु गांधी जी ने राजनीति और धार्मिक बनाने का समर्थन किया।
4. राज्य के कार्य- वैसे तो गांधी जी राज्य-विहीन समाज में विश्वास रखते थे, परन्तु उन्होंने देखा कि यह व्यवहारिक नहीं है। उनका विचार था कि राजनीति में अहिंसा का अधिकाधिक प्रयोग करने से शक्ति पर आधारित राज्य स्वत: समाप्त हो जायेगा और भारतीय सैनिक ' लोक सेना ' का रूप धारण कर लेगे।

प्र०-10 ' न्याय ' शब्द की परिभाषा दीजिए और इसके विभिन्न आयामों की व्याख्या कीजिए ?
उ०- न्याय उन नैतिक नियमों का नाम है जो मानव-कल्याण की अवधारणाओं से सम्बन्धित है।

प्र०-11 लोकपाल की क्या भूमिका है ?
उ०- लोकपाल का पद राजनीतिज्ञों तथा उच्च पदाधिकारियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करने के मामलों की छानबीन करने और इसके विरुद्ध जनता की शिकायतों की सुनवाई करने के लिए स्थापित किया जाता है। लोकपाल का पद केंन्द्रीय प्रशासन के उच्च पदाधिकारियों व मंत्रियों यहॉ तक कि प्रधानमंत्री के विरुद्ध भी जनता की शिकायतें सुन सकता है।

4 comments:

Yes how can i help you

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