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Saturday, October 10, 2020

NIOS Class 10th Hindi Solve Assignment (TMA) 2021

 


Hindi New Assignment 2021-21

1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए। 

(क) कवि वृंद ने अपने दोहे के माध्यम से निरंतर अभ्यास करने पर बल दिया है। आपके जीवन में यह दोहा कितना उपयोगी सिद्ध हुआ है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- कवि वृद ने अपने दोहे करत - करत अभ्यास, में अभ्यास का दहन महल समझापा है। कवि बंद ने इस दोहे में रस्सी और पत्थर का भी उदाहरण देकर समस्या है कि पत्थर जैसी वस्तु जो कि बहुत कठोर है लेकिन रस्सी जैसी छोटी वस्तु से भी पत्थर पर निशान पड़ जाते है तो ऐसे में मनुष्य के बार-बार किए जाने वाले प्रयास उसे सफल बनाते हैं. दोस्तों के साथ एक बार दौड़ लगी जिसमे मैं असानी से घर गया, तो सबके सामने मेरा बहुत अपमान हुआ फिर रोज सुबह अकेले दौड का कई दिनों अभ्यास किया और जब उन्ही दोस्तों के साथ फिर से दौड़ लगी तो में जीत गया।

2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।

(क) समाज में स्त्रियाँ निरंतर सशक्त हो रही हैं ‘भारत की ये बहादुर बेटियाँ’ पाठ में इसके स्पष्ट संकेत देखने को मिलते हैं? टिप्पणी कीजिए।

उत्तर- भारतीय समाज में स्त्रियाँ सशक्त हो रही हैं । आज के समय में महिलाओं मे वह काम तक कर दिखाये है जिसकी कभी कल्पना भी नही की जा सकी। आज की महिलाये के सभी कार्य कर रही है जो की केवल पुरुषों के हिस्से में आते थे। चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो और चाहे प्रशासन या राजनीति का। चाहे अर्थव्यवस्था का हो या चाहे व्यापार या तकनीकी क्षेत्र का। भारतीय महिलाओं ने यह सिद्ध कर दिखाया है की अगर आत्मविश्वास साहस और लगन हो तो संसार का कोई भी कार्य किया जा सकता है।

3. निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए। 

(क) ‘सुखी राजकुमार’ कहानी के किस प्रसंग ने आपके हृदय को छू लिया? और क्यों?

उत्तर- “सुखी राजकुमार” कहानी में ऐसे कई प्रसंग है जिन्होंने हमारे ह्रदय को छुआ है लेकिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्रसंग वह है जब राजकुमार की मूर्ति भटठी में पिघलने के लिए डाली जाती है। मूर्ति पिघल जाती है पर जस्ते से बना हृदय नहीं पिघलता। इस प्रसंग से यह अभिप्राय निकलता है कि हृदय मानवीय संवेदनाओं के कारण तो पिघल सकता है पर स्वार्थी लोगो के अनुरूप ढलने को तैयार नहीं है। सच्ची मानवीय भावनाओं से पूर्ण ह्रदय में दूसरे के दुखों के प्रति कोमलता होती है पर ऐसी कोमलता भी नहीं होती कि दूसरे उसे अपने विचारों के अनुसार ढाल ले।

4. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।

(ख) ‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता के प्रकृति-चित्रण में बगुला किसका प्रतीक है? क्या यह प्रतीक आज के संदर्भ में उतना ही प्रासंगिक है? उदाहरण सहित टिप्पणी करें।

उत्तर- तलाब की कुछ दूरी पर कवि को एक बगुला दिखाई दिया है। पानी में टाँगे डुबई हैं। ऐसा लगता है कि ध्यान में डूबा है और सो रहा है। पर जैसे ही कोई मछली दिखाई देती है उसे लपक कर गटक जाता है। यहाँ बगुला शोषक वर्ग का प्रतीक है। आज भी समाज में ऐसे लोगो की कमी नही है जो देखने में बहुत शरीफ लगते हैं। 

चिकनी-चुपड़ी बातें करते हैं आपका हमदर्द बनकर दिखाते हैं पर मौका पाते ही आपका नुकसान करने से बाज नहीं आते। राजनेता और पूंजीपति इसके बारे में आते हैं। आज भी बगुला का उदाहरण प्रासंगिक है। बगुला समाज के उन ढोंगी लोगों का प्रतीक है जो दिखावा कुछ करते हैं और आचरण कुछ और होता है। इसलिए समाज में एक कहावत भी प्रसिद्ध है “बगुला भगत”। कविता में भी ऐसा ही एक ढोंगी बगुला ध्यान लगाए बैठा है पर जैसे ही मछली दिखाई देती है फट से निगल लेता है।

5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।

(ख) ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ निबंध का मूल संदेश क्या है? पाठ पढ़कर आप किस तरह के समाज की कल्पना करते हैं? अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर- ‘नाखून क्यों बढते है' निबंध का मूल संदेश यह है कि इस निबंध से मनुष्य की अब तक की विकास यात्रा को हमारे सामने रखा है। इस यात्रा में अनेक उतार-चढाव हैं। और एक संघर्ष की प्रक्रिया भी है । इिवेदी जी ने ऐसे मनुष्य का पक्ष लिया है जो मानवीय मूल्यों से युक्त है जो सामाजिक है। ऐसा ही व्यक्ति जीवन को चरितार्थ करने वाला होता है। इसके साथ ही हमने यह पाठ पढ़ा है और हम एक ऐसे समाज की कल्पना है जो कि एक सुखद

कल्पना है कि एक दिन मानव अपनी सारी बुराइयों को त्याग देगा। एक दिन व्यक्ति के नाखून उसी तरह सड़ने शुरू हो जाएंगे। जिस तरह उसकी पूछ धीरे-धीरे गिरते हुए 1 दिन बिल्कुल खत्म हो गई। यह समाज भी हो जब मनुष्य अपने सभी विनाशकारी हथियारों को नष्ट कर देगा। तब न कोई युद्ध होगा और न ही मानवता को किसी से खतरा नहीं। सब मिलकर रहे और एक दूसरे को सहयोग करें। अपनी सभी बुराइयों का त्याग कर दें।

6. निम्नलिखित में से कोई एक परियोजना बनाइए।

(ख) प्रेमचंद की कहानियां पढ़िए और किन्हीं पाँच कहानियों का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए।

उत्तर- प्रेमचंद की प्रमुख 5 कहानिया –

पहली कहानी => बंद दरवाजा

सूरज क्षितिज की गोद से निकला, बच्चा पालने से। वही स्निग्धता, वही लाली, वही खुमार, वही रोशनी। मैं बरामदे में बैठा था। बच्चे ने दरवाजे से झांका। मैंने मुस्कुराकर पुकारा। वह मेरी गोद में आकर बैठ गया।

उसकी शरारतें शुरू हो गईं। कभी कलम पर हाथ बढ़ाया, कभी कागज पर। मैंने गोद से उतार दिया। वह मेज का पाया पकड़े खड़ा रहा। घर में न गया। दरवाजा खुला हुआ था।

एक चिड़िया फुदकती हुई आई और सामने के सहन में बैठ गई। बच्चे के लिए मनोरंजन का यह नया सामान था। बैठकर दोनों हाथों से चिड़िया को बुलाने लगा। गरम हलवे की मीठी पुकार आई। बच्चे का चेहरा चाव से खिल उठा। खोंचेवाला सामने से गुजरा। मगर मैं बाजार की चीजें बच्चों को नहीं खाने देता।

आमतौर पर बच्चे ऐसे हालातों में माँ से अपील करते हैं। शायद उसने कुछ देर के लिए अपील मुल्तवी कर दी हो। उसने दरवाजे की तरफ रुख न किया। दरवाजा खुला हुआ था। मैंने आँसू पोंछने के ख्याल से अपना फाउंटेन पेन उसके हाथ में रख दिया। उसने फाउंटेन पेन को फेंक दिया और रोता हुआ दरवाजे की तरफ चला क्योंकि दरवाजा बंद हो गया था।

दूसरी कहानी => राष्ट्र का सेवक

राष्ट्र के सेवक ने कहा-देश की मुक्ति का एक ही उपाय है और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सुलूक, पतितों के साथ बराबरी को बर्ताव। दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीचा नहीं, कोई ऊंचा नहीं। 

दुनिया ने जयजयकार की कितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक हृदय !

उसकी सुन्दर लड़की इन्दिरा ने सुना और चिन्ता के सागर में डूब गयी।

राष्ट्र के सेवक ने नीची जात के नौजवान को गले लगाया।

दुनिया ने कहा—यह फ़रिश्ता है, पैग़म्बर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है।

इन्दिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा।

राष्ट्र का सेवक नीची जात के नौजवान को मंदिर में ले गया, देवता के दर्शन कराये और कहा-हमारा देवता ग़रीबी में है, जिल्लत में है ; पस्ती में हैं।

दुनिया ने कहा-कैसे शुद्ध अंतःकरण का आदमी है ! कैसा ज्ञानी !

इन्दिरा ने देखा और मुस्करायी।

इन्दिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली- श्रद्धेय पिता जी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ।

राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नजरों से देखकर पूछा- मोहन कौन हैं?

इन्दिरा ने उत्साह-भरे स्वर में कहा-मोहन वही नौजवान है, जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मंदिर में ले गये, जो सच्चा, बहादुर और नेक है।

राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आंखों से उसकी ओर देखा और मुँह फेर लिया।

तीसरी कहानी => शतरंज के खिलाड़ी

शतरंज के खिलाड़ी के दोनों पात्र मीरा और मिरजा ऐसे जागीरदार है जिनका काम एक ही है- शतरंज खेलना। इस खेल के आगे वे अपने घर-बार यहाँ तक की बेगम की तकलीफ तक को भूल जाते हैं। जब उन्हें डर लगता है कि बादशाह उन्हे अपनी फौज में भर्ती न कर ले तो गोमती के वीराने में जाकर शतरंज बिछा लेते हैं, वे इस खेल में इतने मस्त हो जाते हैं कि अपने देश की रक्षा की भी चिंता नहीं राजा गिरफ्तार होता हो तो पर उनके खेल का मजा किरकिरा नही होना चाहिए। कहानी का आखिर भी इसी तरह होता है। वे मीर और मिरजा जो अपने देश और राजा की गिरफ्तारी पर आँशु नहीं बहा पाए। शतरंज के वजीरो की रक्षा में अपने इस जीवन को मिटा गए।

चौथी कहानी => पूस की रात

पूस की रात एक कहानी है जो कहानी सम्राट प्रेमचंद इारा लिखी गई है इस कहानी में एक व्यक्ति ठंड से पीड़ित होता है जिसका नाम हल्कू होता है उसने एक साहूकार से कर्ज ले रखा है और वह उस कर्ज को चुका पाने में असमर्थ होता है और ठंडी का मौसम आने वाला होता है वह पत्नी से रुपए लेकर साहूकार को दे देता है ताकि गाली न सुनी पड़े। हल्कू की पत्नी चाहती है की वह मजदूरी कर और प्रतिदिन कुछ-न-कुछ कमा ले। लेकिन हल्कू सोचता है कि वह खेती करके ज्यादा कमा लेगा। और खेती करता है ठंडी रात में रखवाली के लिए चला जाता है। परंतु रात में ठंड ज्यादा है और कुत्ते के साथ लौटा रहता है और रात आकर जानवर उसकी फसल खा जाते हैं जिससे दुख होता है।

 

पाँचवी कहानी => बड़े घर की बेटी

कहानी का मुख्य पात्र आनंदी है जो भूपतिसिंह की बेटी है जो एक रियासत के ताल्लुकदार थे। आनंदी का विवाह गौरीपुत्र के जमीदार बेनी माधव सिंह के बड़े बेटे श्रीकांठ से होता है। एक दिन आनंदी अपने मापको की बुराई करने अपनी दीवार लालबिहारी से झगड़ा हो जाता है तो वो नाराज होकर कोपभवन चली जाती है और अपने पति से देवर की शिकायत करती है। उसका पति श्रीकंठ क्रोधित होकर अपने भाई का मुँह ना देखने की कसम खा लेता है। परिवार में हो रहे क्लेश और झगड़े को देखकर लोग घर में घुस आते हैं। जाते-जाते लाल बिहारी अपनी भाभी आनंदी से क्षमा माँगता है आनंदी अपने देवर को समा कर देती है। दोनों भाई श्रीकंठ और लाल बिहारी साथ रहने लगते हैं। अंत में बेनी माधव और गाँव के लोग यही कहते हैं कि बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती है।

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