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Wednesday, August 11, 2021

NIOS Class 12th Business Studies Hindi Medium Solve Assignment (TMA) 2021

  व्यावसायिक अध्ययन (319)
शिक्षक अंकित मूल्यांकन-पत्र

कुल अंक – 20

NIOS Class 12th Business Studies Hindi Medium Solve Assignment (TMA) 2021


1. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।

(a) आपका दोस्त सुमित एक नया व्यवसाय शुरू करना चाहता है। इसलिए, वह व्यावसायिक जोखिमों और उनके कारणों के बारे में जानने में रुचि रखता है। उसे व्यवसायिक जोखिमों का अर्थ और कारण बताएँ ।

उत्तर :- व्यवसायिक जोखिमों का अर्थ है भविष्य में किसी अनहोनी घटना के कारण हानि हो जाना व्यवसाय अनिश्चितताओं से भरा होता है । अनिश्चितताएँ कई प्रकार की हो सकती है। अतः किसी भी व्यवसाय को करनें | में जोखिम का तत्त्व शामिल होता है ।

व्यवसायिक जोखिमों के कई कारण है :-

1. प्रकृतिक कारण आग, बाढ़, तूफान, भूकपं बिजली का गिरना आदि।

2. आर्थिक कारण मांग में उतार-चढ़ाव आदि।

3. राजनैतिक कारण आयात एवं निर्यात पर प्रतिबंध, उच्च कर आदि।

4. मानवीय कारण – रोकड़ का दुरूपयोग, वस्तुओं की चारी, दंगे आदि।

5. भौतिक एवं तकनीकी कारण गैस के रिसाव, बॉयलर के फटने आदि के कारण मशीनें काम नहीं कर पातीं।


2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।

(a) आपके व्यवसाय के भागीदार को लगता है कि व्यवसाय का बीमा करवाना महत्वपूर्ण नहीं है। उसे व्यवसाय के लिए बीमा का महत्व समझाएँ।

उत्तर :- व्यवसाय के लिए बीमा का महत्व :-

1. जोखिम से सुरक्षा :- बीमा, ‘व्यवसाय’ को विभिन्न जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करता है । यह सुरक्षा बीमित को हानि की पूर्ति के लिए प्रावधान के रूप में होती है।

2. जोखिम का अनेक लोगों में विभाजन :- बीमा जोखिम को आपस में बांटने में सहायता प्रदान करता है। व्यवसाय में बड़ी संख्या में लोग प्रीमियम देकर बीमा करवाते हैं। इससे बीमाकोष तैयार हो जाता है । इस कोष का उपयोग उन लोगों की क्षति पूर्ति के लिए किया जाता है जिनको वास्तव में यह हानि होती है। इस प्रकार से हानि को बड़ी संख्या में लोगों में बाँट दिया जाता है।


3. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 40-60 शब्दों में दीजिए।

(a) आपको एक साक्षात्कार में एक उम्मीदवार के रूप में उपस्थित होना है। व्यक्तिगत साक्षात्कार के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करने वाली पूरी प्रक्रिया पर चर्चा करें।

उत्तर :- व्यक्तिगत साक्षात्कार का मुख्य उद्देश्य पद विशेष के लिए प्रत्याशी की उपयुक्तता का निर्धारण करना है। इसलिए आपको साक्षात्कार के लिये शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से एवं मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार रहना चाहिए। व्यक्तिगत साक्षात्कार की प्रक्रिया को तीन अलग-अलग चरणों में वर्गीकृत कर सकते हैं :-

1. साक्षात्कार के लिये तैयारी

2. साक्षात्कार के दिन

3. साक्षात्कार का समय


4. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।

(a) आपका चचेरा भाई काम के कारण ज्यादातर समय थका– थका रहता है। इसलिए वह खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला करता है। उनमें से प्रत्येक के फायदे और नुकसान को ध्यान में रखते हुए स्वरोजगार के विभिन्न विकल्पों पर चर्चा करें ।

उत्तर :- स्वरोजगार के विभिन्न विकल्पों पर चर्चा निम्न है :-

1. व्यापार करना :- जैसा कि हम सभी जानते हैं कि व्यापार में वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय-विक्रय सम्मिलित है। कोई भी व्यक्ति छोटी राशि से एक छोटी व्यापारिक इकाई शुरू कर सकता है। आप अपने आस-पास किरयाने या स्टेशनरी की छोटी सी दुकान शुरू करने की सोच सकते हैं।

2. विनिर्माण करना :- कोई भी व्यक्ति ईंट का विनिर्माण या बेकरी (ब्रेड, विस्किट) एवं कन्फैक्श्नरी का सामान उत्पादन करने का छोटा उद्योग लगा सकता है। इन सभी व्यवसायों के लिए कम पूँजी एवं सरल उपकरणों की आवश्यकता होती है।

3. पेशेवर कार्य :- पेशे, जिनमें विशेष ज्ञान एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, भी स्वरोजगार के अवसर प्रदान करते हैं। वकील, डाक्टर, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट, आर्कीटेक्ट एवं पत्राकार इस वर्ग में आते हैं।

4. वैयक्तिक सेवाएं :- वस्त्र सिलने (टेलरिंग), कार मरम्मत, बाल काटने, वस्त्र डिजाइन करने, घर की आन्तरिक साज सज्जा, आदि कुछ ऐसी व्यावसायिक क्रियाएं है जिनमें उपभोक्ता को वैयक्तिक सेवाएं प्रदान करनी होती हैं।


5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-150 शब्दों में दीजिए।

(a) किसी सरकारी कंपनी के बारे में एक खबर जानकर आपके मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई। आप और आपके मित्र ने इंटरनेट पर एक सरकारी कंपनी की विशेषताओं का पता लगाया। उनका उल्लेख करें।

उत्तर :- सरकारी कम्पनी की मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं:-

क) यह कम्पनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत पंजीकृत होती है।

ख) इसका अपना स्वतंत्रा वैधानिक अस्तित्व होता है। यह मुकदमा चला सकती है तथा इसके विरुद्ध मुकदमा चलाया जा सकता है, और अपने नाम से सम्पत्ति का अधिग्रहण कर सकती है।

ग) सरकारी कम्पनियों की वार्षिक रिपोर्ट को संसद में प्रस्तुत किया जाता है।

घ) सरकार द्वारा पूँजी पूर्णतः अथवा अंशतः उपलब्ध कराया जाता है। आंशिक स्वामित्व वाली कम्पनी की दशा में, पूँजी की व्यवस्था सरकार और निजी निवेशकों द्वारा की जाती है। लेकिन इस प्रकार की स्थिति में केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार द्वारा कम्पनी के कम से कम 51 प्रतिशत अंशों का स्वामित्व प्राप्त करना होगा।

ङ) इसका प्रबन्धन निदेशक मण्डल द्वारा किया जाता है। सभी निदेशकों अथवा उनके बहुमत की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है, जो निजी सहभागिता की सीमा पर निर्भर करती है । च) इसका लेखा और लेखा परीक्षा निजी उद्यमों के समान होती है तथा इसके लेखा परीक्षक की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है।

छ) इसके कर्मचारी सरकारी अधिकारी नहीं होते हैं। यह अपनी व्यक्तिगत नीतियों का संचालन अपने अन्तर नियमों के अनुसार करती हैं।


6. नीचे दी गई परियोजनाओं में से कोई एक परियोजना बनाइए ।

(a) प्रियांक एक छोटा व्यवसाय शुरू करना चाहता है लेकिन वह उपलब्ध सरकारी सहायता से अनजान है। उसे छोटे व्यवसाय की विशेषताओं और उसके दायरे की व्याख्या करके आवश्यक जानकारी एकत्र करने में मदद करें। भारत में छोटे व्यवसाय के विकास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख करें ।

उत्तर :- छोटे व्यवसाय की मुख्य विशेषताएँ निम्न है :-

(i) सामान्यतः एक छोटा व्यवसाय कुछ व्यक्तियों के स्वामित्व एवं प्रबंध में होता है।

(ii) व्यवसाय की दिन- प्रतिदिन की क्रियाओं में स्वामी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। स्वामियों के प्रबंध में भाग लेने से शीघ्र निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

(iii) छोटी व्यावसायिक इकाइयाँ श्रम आधारित होती हैं, अतः इनमें कम पूँजी निवेश की आवश्यकता होती है।

(iv) छोटे व्यवसाय का कार्यक्षेत्र सीमित होता है। साधारणतः इससे स्थानीय लोगों की आवश्यकता की ही पूर्ति होती है।

(v) छोटे व्यवसाय का परिचालन लोचपूर्ण होता है। यह सरलता से अपनी प्रकृति, कार्य क्षेत्र, उत्पादन प्रक्रिया, आदि में सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक स्थिति में आए परिवर्तनों के अनुसार बदलाव ला सकता है।

छोटे व्यवसाय के दायरे की व्याख्या :-

1. व्यापार को जिसमें माल एवं सेवाओं का क्रय-विक्रय शामिल है, शुरू करने में कम समय व पूँजी लगानी पड़ती है। आर्थिक क्रियाओं के इस क्षेत्र पर छोटे पैमाने के उद्यमियों का प्रभुत्व है।

2. मोटर मरम्मत, वस्त्र सिलाई, सौंदर्य निखार (पार्लर), आदि जैसे कार्य जिनमें व्यक्ति विशेष की सेवाओं की आवश्यकता होती है छोटे व्यवसाय को स्थापित कर चलाए जाते है।

3. उन लोगों के लिए यह श्रेष्ठ विकल्प है जो नौकरी नहीं करना चाहते हैं लेकिन स्वरोजगारी बन जाते हैं। अपने स्वयं का छोटा व्यवसाय चलाने वाले लोग स्वतंत्राता पूर्वक कार्य कर सकते हैं।

4. छोटे पैमाने का व्यवसाय उन उत्पादों एवं सेवाओं के लिए जिनकी मांग कम या सीमित है अथवा विशेष क्षेत्र में है, सबसे उपयुक्त हैं।

5. ऐसे व्यावसायिक उपक्रम को जिन में ग्राहकों एवं कर्मचारियों से निजी सम्पर्क की आवश्यकता होती है छोटे व्यवसाय के रूप में सफलता पूर्वक चलाया जा सकता है।

भारत में छोटे व्यवसायों के विकास के लिए सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, जो निम्नलिखित हैं:

1. छोटे पैमाने के उद्योगों के लिए उदार साख नीति, जैसे ऋण एवं अग्रिम की प्रक्रिया में कम औपचारिकताएं, रियायती दर पर ऋण, आदि तैयार की गई हैं।

2. बड़े पैमाने के उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से दूर रखने के लिए भारतीय सरकार ने केवल छोटे पैमाने के उद्योगों के लिए लगभग 800 वस्तुओं का उत्पादन सुरक्षित रखा है।

3. छोटे पैमाने की इकाईयों को आबकारी एवं बिक्री कर में छूट दी है अथवा कर मुक्त कर दिया गया है। छोटे पैमाने के उद्योगों के आबकारी कर में कर-मुक्ति की सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रूपये कर दी गई है।

4. सरकार अपने उपयोग एवं उपभोग के लिए स्टेशनरी एवं दूसरे सामान क्रय करने में छोटे उद्योगों के उत्पादों को वरीयता प्रदान करती है।

5. सरकार द्वारा छोटे पैमाने के औद्योगिक व्यवसायों के प्रवर्तन, वित्तीयन एवं विकास के लिए भारतीय लघु औद्योगिक विकास बैंक (SIDBI), राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD ) एवं जिला औद्योगिक केन्द्रों की स्थापना की है।

6. भारतीय सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए पृथक मंत्रालय की स्थापना की है जिससे देश में छोटे व्यावसायिक उद्यमों के विकास के लिए प्रभावशाली नियोजन और निगरानी हो सके।



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